Pandit Sevak Dubey

पितृ दोष

जीवन और मृत्यु एक दूसरे के साथ साथ चलते है, मनुष्य के जन्म के साथ ही उसकी मृत्यु का समय स्थान, परिस्थित सब नियत कर दिया जाता है, फिर भी कई बार सांसारिक मोह में फंसे हुए व्यक्ति की मृत्यु के पश्चात उसका भली प्रकार से अंतिम संस्कार संपन्न ना किया जाए, या जीवित अवस्था में उसकी कोई इच्छा अधूरी रह गई हो तब भी उसकी मृत्यु के बाद उसकी आत्मा अपने घर और आगामी पीढ़ी के लोगों के बीच ही भटकती रहती है। ऐसे व्यक्तिओ के वंशजो को उनके मृत पूर्वजों की अतृप्त आत्मा ही कई बार भांति भांति के कष्ट देकर अपनी इच्छा पूरी करने के लिए दबाव डालती है और यह कष्ट पितृदोष के रूप में उनके वंशजो की कुंडली में झलकता है।

इसके अतिरिक्त अगर किसी व्यक्ति अपने हाथों से जाने या अनजाने अपनी पिता की हत्या करता है, उन्हें दुख पहुंचाता या फिर अपने बुजुर्गों का असम्मान करता है तो अगले जन्म में उसे पितृदोष का कष्ट झेलना पड़ता है

पितृ दोष के लक्षण
वैसे तो इस दोष के लक्षण भी सामान्य होते है, जिनको आप चाहे तो तर्क के आधार कुछ और ही सिद्ध कर सकते है, परन्तु वास्तव में जिसकी कुंडली में यह दोष होता है, वह जनता है की वह अपने लिए कितना प्रयास कर रहा है, फिर भी सफलता न मिलने का उसे कारण समझ नहीं आ रहा, इन समस्याओ में कुछ प्रमुख समस्याएं इस प्रकार से है, जैसे विवाह ना हो पाने की समस्या, विवाहित जीवन में कलह रहना, परीक्षा में बार-बार असफल होना, नशे का आदि हो जाना, नौकरी का ना लगना या छूट जाना, गर्भपात या गर्भधारण की समस्या, बच्चे की अकाल मृत्यु हो जाना या फिर मंदबुद्धि बच्चे का जन्म होना, निर्णय ना ले पाना, अत्याधिक क्रोधी होना

ज्योतिष विद्या में भगवान सूर्य को पिता का और मंगल को रक्त का कारक माना गया है। जब किसी व्यक्ति की कुंडली में ये दो महत्वपूर्ण ग्रह पाप भाव में होते हैं तो व्यक्ति की कुंडली में पितृदोष है ऐसा माना जाता है

पितृदोष के कुछ ज्योतिषीय कारण भी हैं, जिस व्यक्ति के लग्न और पंचम भाव में सूर्य, मंगल एवं शनि का होना और अष्टम या द्वादश भाव में बृहस्पति और राहु स्थित हो तो पितृदोष के कारण संतान होने में बाधा आती है।

अष्टमेश या द्वादशेश का संबंध सूर्य या ब्रहस्पति से हो तो व्यक्ति पितृदोष से पीड़ित होता है, इसके अलावा सूर्य, चंद्र और लग्नेश का राहु से संबंध होना भी पितृदोष दिखाता है। अगर व्यक्ति की कुंडली में राहु और केतु का संबंध पंचमेश के भाव या भावेश से हो तो पितृदोष की वजह से संतान नहीं हो पाती।

पितृ दोष निवारण पूजन
अगर आप यहाँ पर लिखी हुयी बातों को पढ़ रहे है तो आपको चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, आप पंडित श्री रमा कांत जी को अपनी समस्या बताये और निराकरण प्राप्त करे, पंडित जी ने उज्जैन में एक लंबे समय से पितृ दोष शांति पूजन करवाकर अनेको पुत्रो को इस दोष से मुक्त करवा कर उनके पूर्वजो को प्रसन्न किया है।

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